मोहब्बत
मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है…
मिले थे जब हम तो क्या कहें,
तुम्हारी अदाओं का असर!
सूरत दिखाकर यूँ छुप जाना ,
तुमने तो बस शरारत की है!
पर मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है!
तुम्हारे बाद याद करके तुम्हें,
फिर अकेले में मुस्कुराना!
तुम्हारा कल आने का वादा,
पर फिर लौट कर न आना!
मैंने तुम्हारे हर फैसले की,
दिल से अब तक इज्जत की है!
सच है मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है!
कल जो बीता वो तो बीत गया,
तुम चाहे जो भी समझो आज!
आपस में अपनी चाहे न हो बात,
कुछ तो अपने रिश्ते में था खास!
मैने हरदम तुम से ही मोहब्बत की है!
हाँ …मैंने उन लम्हों से मोहब्बत की है!
— कामनी गुप्ता