लघुकथा

किराए का टट्टू

कवि सम्मेलन में दर्जनों कवि कवयित्री उपस्थित थे। उनमें से कई नामचीन साहित्यकार भी थे। मंच पर जब एक एक कर लगातार तीन कवियों ने अपनी कविता पाठ में सत्ता पक्ष के कसीदे पढ़े और विपक्ष की बेवजह नुक्ताचीनी की तो मंच पर आसीन एक कवि से रहा नहीं गया।
वे चुपचाप मंच से खिसक गए।
“क्या हुआ ? आप अपनी बारी का इंतजार किए बगैर मंच से  उतर गए।”आयोजक मंडली के एक सदस्य ने  सवाल किया।
” जी, मैं गलत मंच पर आ गया था। मेरी लेखनी स्वतंत्र है।मैं चाटुकार या किसी राजनीतिक दल के किराए का टट्टू नहीं हूँ।” कवि ने जवाब दिया।
“आपको पता होना चाहिए कि इस सम्मेलन के खर्च का सिंह भाग इसी राजनीतिक दल ने उठाया है।” सदस्य ने बेमन से कहा।
— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]