चुपी सी लग गई दोनो की,बातें करते करते,
बात छेड़ो कि गुजरे श्याम ,बातें करते करते।
चश्म-ए-हैरत से देख रहा रहे है सारा जहाँ,
दर्द की आवाज बे-आवाज़ी,बातें करते करते।
सन्नाटा चीख रहा है तुम भी चूप हो , हम भी,
लफ्ज़ों का दम टूट रहा है, बातें करते करते।
अजब अश्कों की बारिश और धड़कने चूप,
वही सुकूत सीने में अंगारा, बातें करते करते।
आंखों में इक तस्वीर, दे रहा है कोई मुझे सदा,
ज़ख़्मों का उक़्दा खुल रहा ,बातें करते करते।
~ बिजल जगड