आराधना
आराधना प्रभु मेरी हो स्वीकार
कर दो आततायी का संहार
जो कर रहे हैं बहन बेटी पे प्रहार
कब तक रहेगी नारी बेबस लाचार
हर नुक्कड़ पे खड़ा है वहशी
गाँव कस्बा हो या क्षेत्र रिहायशी
हर कदम पे लगता है पापा को डर
कब भेजेगी कानून इन्हें लाल घर
मौन बैठा है देश का पुलिस प्रशाषण
बहक रहा है मोहल्ले का दुःशाषण
दिन दहाड़े कर रहे हैं छेड़ छाड़
कब रूकेगी बालिका पे अत्याचार
कब तक नाटक देखोगे कन्हैया
कब आओगे ओ नैय्या के खैवैया
अब तो सुन जा नारी की पुकार
नींद से जागो अय नन्द। कुमार
बेबस रोता है लड़की का पापा
खो रहे हैं सहन शक्ति वो आपा
अब तो हाथ बढ़ा ओ मुरली वाले
तेरे शरण में आया कर तेरे हवाले
— उदय किशोर साह