हमीद के दोहे
फागुन का यूँ आगमन, सारे जग को खास।
होली आकर बाँटती , दुनिया में उल्लास।
हिम्मत को अपनी मियाँ, रखना रोज़ जवान।
कम होने देना नहीं, हरगिज़ अपनी शान।
राह दिखाता नित नई, दुनिया को विज्ञान।
इसके दम से हो रहे, हर दिन अनुसंधान।
लज्जित करने के लिए, रहिये नहीं अधीर।
होना तुमको गर बड़ा, खींचो बड़ी लकीर।
नेताओं के आजकल, हवाश बिल्कुल गोल।
मन में जो भी आ रहा, वही रहे हैं बोल।
— हमीद कानपुरी