कविता

आए हैं ऋतुराज सजीले

आए हैं ऋतुराज सजीले, गीत स्वागतम् गाओ री,
मधुकर छेड़े राग रंगीले, ढोल-मंजीरे बजाओ री.

रंग धूप के तेज चटक ने, कोहरा-धुंध भगायो री,
नव पल्लव ने हाथ पसारे, बौर आम पर आयो री.

पवन बजा रही बांसुरी पीली सरसों पे यौवन आयो री,
अमराई में कूके कोयलिया, पी को संदेसो आयो री.

आएंगे परदेसी पिया कोई, मंगल साज सजाओ री,
खुल-खुल जाए बाजूबंद मोहे, कोई बंध न सुहायो री.

धानी चुनरिया ओढ़ी धरा ने, गेंदे के फुलवा लाओ री.
आसमान ने रंगी रंगोली, टेसू से रंग बनाओ री.

खेलूंगी फाग पिया के संग मोहे, रंग बसंती भायो री,
रंग-अबीर-गुलाल ले आओ, पिचकारी मंगवाओ री.

फागुन के संग ऋतुराज ने, सुंदर रूप सजायो री,
खुशहाली से झूमे किसनवा, गीत फगुनवा गायो री.

धरती झूमे, अंबर झूमे, सब मिल धूम मचाओ री,
आए हैं ऋतुराज सजीले, गीत स्वागतम् गाओ री.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244