कविता

आया होली का त्यौहार

बह रही फागुन की बयार
रंग की बरस रही है  फुहार
कान्हा खेले रंग       गुलाल
होली की मची है रंग धमाल

कनक पिचकारी ले बिहारी
चल पड़े गोपियों संग मुरारी
रंग से रंग दी चोली    चुनरी
बज रही ढोल डफली मंजरी

किसने घोल दी फिजां में भंग
युवा में चढ़ गई होली के रंग
मस्ती की होली है     त्यौहार
गली मुहल्ले में छाई है बहार

जोगीरा गा रहे हैं होली के गान
छेड़ दी मस्ती के मादक  तान
झूम रहें हैं बुढ़े व       नौजवान
मदमस्त हुई है अपना ये जहान

घर घर बन रहे हैं पुए पकवान
निर्बल तन में फूंक दी है जान
मस्ती में डूबा अपन हिन्दुस्तान
होली है पावन पर्व महान

भूले बैरी भी सारे अब   रंज
गले मिल रहे हैं तज के जंग
आई है होली के सब मस्तान
लेकर नई संदेश  की  बिहान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088