गर तुम होते मेरे साजना
गर तुम होते मेरे साजना
न जाने क्या कर जाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
करती मैं, सोलह श्रंगार
फिर खुद ही मैं शरमाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
कभी प्रेम बरसाती, बन सावन
कभी छुई – मुई मैं बन जाती !
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
सुनती धड़कन तेरे दिल की
कभी तेरी धड़कन बन जाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
करती अटखेलियाँ संग तेरे
कभी मासूम सी मैं बन जाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
कभी बनती मैं तेरी मीरा
कभी मेनका मैं बन जाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
लड़ती तुझसे मैं बेहिसाब
बेवजह तुझको तड़पाती
इक ही जीवन में… संग तेरे
कितने जीवन जी जाती !!
अंजु गुप्ता “अक्षरा”