बालकहानी : तनु की सूझबूझ
अप्रैल का महीना था। स्कूलों की वार्षिक परीक्षा परिणाम घोषित किये जा रहे थे। इस वर्ष तनु अपने स्कूल के कक्षा पाँचवीं में प्रथम आयी थी। उसके छोटे भाई शुभम ने भी कक्षा तीसरी की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। दोनों भाई-बहन स्कूल से अंकसूची लेकर आये और बैठक कमरे में टेबल पंखे को चालू करके सोफे पर बैठ गये। उनके मम्मी-पापा घर पर नहीं थे। फिर दोनों को एक-दूसरे की अंकसूची देखने की इच्छा हुई; लेकिन सबसे पहले अंकसूची दिखाने के लिए कोई तैयार नहीं थे। इस तरह दोनों में अंंकसूची के लिए छीना-झपटी होने लगी।
झगड़ते-झगड़ते अचानक शुभम का हाथ पंखे से टच हो गया। चालू पंखे में करंट प्रवाहित होने के कारण उसका एक हाथ पंखे से चिपक गया। शुभम की चीख सुनकर तनु सहम गयी। फिर तुरंत उसने दीवार की खूँटी पर टंगी सायकिल की पंचर ट्यूब से शुभम को पकड़कर पंखे से अलग किया। तनु एकदम घबरा गयी। अचेत शुभम को पलंग पर लिटाकर पड़ोस की कौर अंटी को बुलाने गयी। कौर अंटी के आते ही मम्मी-पापा भी आ गये। तनु ने अपने मम्मी-पापा को घटना की पूरी जानकारी दी। पापा तुरंत डॉक्टर को बुलाने चले गये। मम्मी शुभम को गोद में लेकर पलंग पर बैठ गयी। मम्मी बहुत घबरायी हुई थी। उपचारोपरांत शुभम को होश आया। डॉक्टर तनु के पापा से बोले- “चंद्राकर जी, घबराने की कोई बात नहीं। मैंने इंजेक्शन लगा दिया है। ये टेबलेट्स शाम और सुबह लगातार दो दिन तक देते रहिएगा।” डॉक्टर के चले जाने के बाद एकत्रित हुए लोग तनु की सूझबूझ की चर्चा लगे।
“छोटी सी बच्ची ने क्या दिमाग लगाया।” खान चाचा ने दाढ़ी खुजलाते हुए बोला।
“थैंक गाॅड! ” जाॅन अंकल ने हामी भरी।
भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। घटना के बारे में सुनकर सभी को बड़ा आश्चर्य होने लगा। मुसीबत के समय क्या दिमाग लगाया है। वाह , बहुत खूब…जैसे शब्द जनसमूह से निकल रहे थे। कौर अंटी ने तनु से पूछा- “तनु बिटिया, तुम ने शुभम भाई का हाथ पंखे से चिपकने पर उसे अलग करनेवाले के लिए साइकिल-ट्यूब का ही उपयोग क्यों किया?”
सहमी हुई तनु बताने लगी- “आंटी जी, हमारी रूबीना मैडम है न, जो हमें विज्ञान पढ़ाती है।उन्होंने बताया था कि रबड़, चमड़े, मोम, सूखे कपड़े, सूखी लकड़ी विद्धुत के कुचालक हैं। इन पर विद्युत यानी करंट का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इनमें करंट प्रवाहित नहीं होती। शुभम भाई का हाथ पंखे से चिपकने पर मुझे रबड़ ट्यूब का ख्याल आया और इसी से शुभम को पकड़कर पंखे से अलग किया।” यह सुनकर उपस्थित सभी तनु की सूझबूझ की जी खोलकर तारीफ करने लगे।
तनु ने मुसीबत के समय अपने छोटे भाई शुभम की जान बचाई, जो वाकई प्रसंशनीय थी।
— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”