मुक्तक
मेरे गीतों में छिपा है जीवन, मत इनको तुम मौन करो,
गीतों में जीवन का दर्शन, मत इनको तुम गौण करो।
मौन मुखर हो जाते जब जब, राह दिखाते जन जन को,
मृगतृष्णा में भटका मानव, दिशा दिखाते कुछ शौण करो।
विलुप्त हो रहे संस्कारों का, सार मिलेगा गीतों में,
भटक रही युवा पीढ़ी को, संस्कार मिलेगा गीतों में।
लय छन्द की बात नहीं, संस्कृति का दर्शन होगा,
सृष्टि के रज कण में ईश्वर, सभ्यता संरक्षण गीतों में।
गीतों में ईश्वर की भक्ति, माँ का प्यार भी गीतों में,
आकुल व्याकुल इत उत ताके, सार मिलेगा गीतों में।
टपक रह टप टप आँसू, विरह वेदना मचल रही हो,
घायल हिरणी सी प्रेमिका को, प्यार मिलेगा गीतों में।
गीतों का संसार है अद्भुत, हर कष्टों की दवा इनमें,
जीवन मरण लाभ यश हानि, सब उपचार छिपा इनमें।
देव दानव किन्नर की बातें, सप्त लोक रहस्य हों,
दया धर्म मानवता का सार, है चमत्कार बसा इनमें।
— डॉ अ कीर्ति वर्द्धन