भंवरे कलियां प्यार ग़ज़ल में लिखा कर ।
सावन खिजां बहार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
नारों में उलझा कर सत्ता की खातिर ।
क्या करती है सरकार ग़ज़ल में लिखा कर।।
कि झूठे वादों का तुम्हें चकमा दे देकर ।
किसने ठगा हर बार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
अब तक कितना कर्ज अदा कर बैठे हो ।
कितना रहा उधार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
कांटो की कठिनाई किनारे रखकर के
खरे खरे उद्गार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
क्या-क्या गुर हैं दर्द क्षितिज को छूने के ।
परिंदों की उड़ार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
कश्ती नाविक और समंदर के किस्से ।
साहिल और मंझधार ग़ज़ल में लिखा कर ।।
शब्द जाल यूं बुनकर न उलझाया कर ।
भावों की निर्मल धार गजल में लिखा कर ।।