ग़ज़ल
उठती कहाँ हमारी नजर, अब किसी तरफ।
नयनों में कैद कोई, दिखता है हर तरफ ।
मेरे कदम इशारों के पायमाल हैं।
मिलते ही बढ़ चले हैं कदम ,मेरे उस तरफ।
मिलने की मधुर याद लिए , मन हुआ मगन।
बिछुड़न की उदासी है ,होठों पे ना हरफ।
कहते हैं पूर्वजन्म के संबंध हैं सभी ।
मालूम पड़े जब गली , रिश्तों के हर बरफ।
रहता है कोई साथ कहाँ साये की तरह ।
अब अजमा रहे हैं कोई, मेरा हर जरफ ।
— शिवनन्दन सिंह