कविता

धूम्रपान की लत

धूम्रपान की लत जिसे, हुआ स्वास्थ्य का नाश,
भेज बुलावा कैंसर को, किया खुद का विनाश.
हार्ट अटैक ने दस्तक दी, नपुंसकता भी आई,
धूम्रपान को छोड़ ही दो अब, जागो-जागो रे भाई.
यमराज का भी है कहना, धूम्रपान खतरे की घंटी,
अभी लगाया सुट्टा तो फिर, खैर नहीं है बबली-बंटी!
तुम तो मुंह को फुला बन्दर-सा, करते धुंए का दान,
दोस्त-साथी-रिश्तेदार की, हुई सांसत में जान!
अनमोल है ये जिंदगी, कीजिए मत बरबाद,
खांसी होगी, दम उखड़ेगा, डॉक्टर हों आबाद!
चाहो जो अपना भला, धूम्रपान की लत को छोड़ो,
धन भी बचाओ, स्वस्थ रहो, खुशियों से निज नाता जोड़ो.
— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244