गीतिका/ग़ज़ल

आँख फेरो सर झुकाओ चुप रहो

आँख फेरो सर झुकाओ चुप रहो
आह को दिल में दबाओ चुप रहो

झूठ के बाज़ार में सच बोलकर
भेंट मत अपनी चढ़ाओ चुप रहो

फ़र्ज वो अपना निभाकर फ़ँस गया
ख़ैर तुम अपनी मनाओ चुप रहो

दर्द उनका देखकर, छलके हुए
अश्क पलको में छुपाओ चुप रहो

बेहिसी का बेबसी का हुक्म है
कुछ सुनो मत कुछ सुनाओ चुप रहो

सब्र ही हथियार है मजलूम का
सब्र अपना आज़माओ चुप रहो

मर चुके हो अब करो ये काम भी
लाश अपनी ख़ुद उठाओ चुप रहो

— सतीश बंसल
१९.०३.२०२३

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.