आधुनिक इश्क
आधुनिक इश्क
यूं ही होता नहीं इश्क अब
बिक रही है मुहब्बत जमाने में
सोच समझ कर इश्क करने वाले
रोज बदलते रंग अजमाने में
एक साथ चल रही कई से
इश्क अब देखने दिखाने में
ज्यों-ज्यों लोग हुए आधुनिक
हया उधड़ती है शामियाने में
चुंबन आलिंगन अब होते पहले
विवाह पूर्व ही आनंद उठाने में
तू नहीं और सही, और नहीं गैर सही
खुल्लम खुल्ला इश्क फरमाने में
वाटसअप चैट से बढ़ता इश्क
फेश बुक पर फोटो चिपकाने में
सारे रिश्ते अब हाय हेल्लो होते
वक्त नहीं अब मिलने मिलाने में
मान मनुहार के गए दिन
वक्त जाया न करते समझाने में
रिश्ते तो ऐसे छूट टूट रहे
बात होती कचहरी थाने में
अगर मगर किंतु परंतु में अब
भटक रही है जिंदगी अनजाने में
जाना था कहीं, चले गए कहीं और
बरबाद हो रहे वक्त बीत जाने में