कविता

आधुनिक इश्क

आधुनिक इश्क यूं ही होता नहीं इश्क अब बिक रही है मुहब्बत जमाने में सोच समझ कर इश्क करने वाले रोज बदलते रंग अजमाने में एक साथ चल रही कई से इश्क अब देखने दिखाने में ज्यों-ज्यों लोग हुए आधुनिक हया उधड़ती है शामियाने में चुंबन आलिंगन अब होते पहले विवाह पूर्व ही आनंद उठाने […]

कविता

मधुयामिनी

मधुयामिनी धीरे धीरे सकुचाते सिमटते मैंने लंबा सा घूंघट उठाया है लबों पे कसक, आँखें हैं बंद कमरे में चांद निकल आया है लाज के पहरे, चेहरे पे डाले माथे पे पसीना चुहचुहाया है कपोलों पे लाली, हिरणी सी आँखें बंद पलकों में तूने क्या छुपाया है सुराहीदार गर्दन, सुतवाँ नाक ऐसी सूरत पे दिल […]

गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जो होकर भी न हो, उसका होना कैसा नाम के रिश्ते से शिकवा कैसा, रोना कैसा किस किस को कितनी गलतियां गिनाता फिरूँ हर गुनाह अपने सिर ले लिया, जुबां पिरोना कैसा झूठ इस कद्र न बोल, कि खुद पर भी शर्म आए कल की आहट अभी दिख रहे, आज बोना कैसा कहना चाहता था […]

गीतिका/ग़ज़ल

गजल

गजल जिस राह से गुजरो तुम, वो राह देखा करते हैं पास होती हो फिर भी, निगाहों से बयाँ करते हैं जिस बात से खुश हो तुम, वो ही किया करते हैं दूर हो फिर भी तेरे आने की आहट सुना करते हैं सीने में कैद है हर लम्हा जो बातें किया करते हैं खामोशी […]

अन्य लेख लेख

मोदी उपनाम एक विवेचना

मोदी शब्द कहाँ से आया “मोदी” शब्द की व्युत्पत्ति मोदी का मतलब हैं मोठ दाल वाला Modi simply means seller of moth beans काशी वाले कबीर जी कह गए थे, “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान; मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान।” हम भारतीय हैं। हम संत की जात भी पूछते […]

कविता

नाकाबिल

नाकाबिल दिल है चटखा , पर नहीं है शिकवा कि कह न दो, मुहब्बत है मेरी झूठी कहाँ रह गयी हमारी वफा में कमी जो कहा मुझे, तुम हो गए उस की हमारे अरमानों की चिता सजाकर कह रहे, हम सजाएँ तेरी महफिल वाह रे खुदाई,लिखा कैसा तकाजा संगदिल हो तुम, हैं हम नाकाबिल जलाकर […]

कविता

अनजान अजनबी

जब भी मिला, हरे हो गए पुराने घाव टीस भरी यादों के जल उठे हैं अलाव कोशिश की, पर भूल नहीं पाया कभी कितनी बार मारा मुझे, तेरी यादों ने उम्मीद है, शायद कभी लौट आओ जिंदा रखी हैं सांसों को, तेरे यादों ने कितना दर्द छुपा है, मुस्कान के पीछे लोग इसे न जान […]

कहानी

भुवन भारती

भुवन भारती (कोरोना काल में बहुतों ने स्वजनों को खोया है। किसी अपने को खोने का दर्द बयां करती यह कहानी ऐसे तमाम लोगों को समर्पित है।) मेरे भुवन, तुमसे क्या कहूँ, कैसे कहूँ, किन शब्दों में कहूँ ? तुम मुझसे इतना दूर चले गए हो कि मेरी आवाज भी तुम तक नहीं पंहुच सकती। […]

कविता

पीड़ा

अंतस की पीड़ा समेट कर जब कदम दो चार चला अधरों पर मुस्कान ला दिल को हर बार छला न जाने कब आंखें बरसी अश्रु गालों पर फिसला किस किस को याद करूं कौन देगा साथ भला कभी ताना, कभी उलाहना जुबाँ से कई बार जला किससे शिकवा, किससे गिला जब उनके बीच पला जो […]

कहानी

बदनाम

  बदनाम सच और झूठ का पता करना मुश्किल ही नहीं, बहुत ही मुश्किल है। कौन सच बोल रहा है, कौन झूठ ? आधी हकीकत को झूठ के आवरण में लपेटकर इस तरह से परोसा जाता है और बार बार परोसा जाता है कि वह सच को सबकी आंखों से ओझल कर देता है। लोगों […]