गीतिका/ग़ज़ल

गजल

गजल
जिस राह से गुजरो तुम, वो राह देखा करते हैं
पास होती हो फिर भी, निगाहों से बयाँ करते हैं

जिस बात से खुश हो तुम, वो ही किया करते हैं
दूर हो फिर भी तेरे आने की आहट सुना करते हैं

सीने में कैद है हर लम्हा जो बातें किया करते हैं
खामोशी की आवाज कुछ कुछ ही सुना करते हैं

तूने मुस्कुराकर पूछा था, बड़े गुमसुम दिखते हो
क्या छुपा रखे हो हमसे, कुछ राज गहरा लगता है

मेरे वजूद हो तुम, चाहकर भी न कुछ कह सका
वफा मेरी कुछ कह दे, चेहरे पर न पहरा लगता है

ख्वाबों की रंगीन दुनिया में अक्सर होती हैं बातें
हकीकत में बेखबर फसाने बिखर जाया करते हैं

बाँध कर रख ले,खाक मुहब्बत उसे कहा करते हैं
न वादा न सौदा,केवल इश्क जेहन में बसा करते हैं

खामोश सफर कट जाए कभी साथ आ जाना
मुख्तसर मुलाकात जीने की वजह बना करते हैं

श्याम सुन्दर मोदी

शिक्षा - विज्ञान स्नातक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से प्रबंधक के पद से अवकाश प्राप्त, जन्म तिथि - 03•05•1957, जन्म स्थल - मसनोडीह (कोडरमा जिला, झारखंड) वर्तमान निवास - गृह संख्या 509, शकुंत विहार, सुरेश नगर, हजारीबाग (झारखंड), दूरभाष संपर्क - 7739128243, 9431798905 कई लेख एवं कविताएँ बैंक की आंतरिक पत्रिकाओं एवं अन्य पत्रिकाओं में प्रकाशित। अपने आसपास जो यथार्थ दिखा, उसे ही भाव रुप में लेखनी से उतारने की कोशिश किया। एक उपन्यास 'कलंकिनी' छपने हेतु तैयार