कविता कविता *ब्रजेश गुप्ता 22/03/2023 अब कोई गिला नहीं नहीं कोई रंजिश जहां से सब अपने हैं मेरे कोई मुझसे जुदा नहीं भाव यह मन में उदय हुआ जब से चित सुन्दर हुआ उसी क्षण से मैं तेरा तू मेरा सम भाव की इस भावना से हो चित का शुद्धिकरण