लघुकथा

लघुकथा – सवाल

सास के कहने पर बहू कन्या पूजन के लिए मंदिर पहुँची और एक प्यारी-सी आठ साल की बच्ची को दंडवत प्रणाम किया।
“भगवती ! मेरी इच्छा पूरी कर दो।” बहू ने मन ही मन कहा।
“तुम्हारी सब इच्छा पूरी हो!” बच्ची ने सर पर हाथ रखकर कहा।
“नहीं भगवती ! मेरी इच्छा का कोई मोल नहीं घर में, मेरी पहली संतान तुम्हारी जैसी बिटिया हुई थी, परंतु घरवालों की उपेक्षा से महीना भर भी जी नहीं सकी। कैसे मर गई, मुझे आज तक पता नहीं। मेरी सास को पोता चाहिए।” बहू की आवाज  भीतर ही घुटकर रह गई। खुलकर कह नहीं पाई।
“तो फिर किसी कन्या का पूजन क्यों?” बहू को लगा कोई सवाल कर रहा है।
— निर्मल कुमार दे

निर्मल कुमार डे

जमशेदपुर झारखंड [email protected]