और अब ये निखर जाएंगे
आज थोड़ा बरस वो गए हैं
तपिश में थोड़ी कमी आ गयी है
गर्दिश ही गर्दिश नजर आ रही थी
सेहरा में थोड़ी नमी आ गयी है
हवाएं यहां ऐसी चलती रही तो
घटाएं कोई बांध सकता नही
तपती रही महि जो अब तक
सुकूँ में थोड़ी जमी आ गयी है
नए अंकुरों को सहारा मिला है
और अब ये निखर जाएंगे
आंधियों ने यहां राहनुमाई निभाई
चल के यहां सरजमीं आ गयी है
राजकुमार तिवारी (राज)
बाराबंकी उत्तर प्रदेश