भूकंप
अगर भूकंप आएगा बदल देगा कहानी को
न देखेगा बुढ़ापे को ना बचपन और जवानी को
इमारत और भवन बहु मंजिलें ढह जाएंगे सारे
बचे कुछ खंडहर से घर बतायेंगे वीरानी को
गिरेंगे भरभरा कर पुल सुनामी साथ गर आई
नहीं रोका गया है आज तक इस बहते पानी को
लिए परमाणु बम बैठे बहुत से इसके सौदागर
किसी में है नहीं बूता जो रोके इस रवानी को
सुना है चांद पर मानव बसाएगा नई बस्ती
वहां से बैठकर देखेगा इस दुनिया पुरानी को
— मनोज श्रीवास्तव