पराधीन हो कर जीवन जीने की अपेक्षाकृत जीवन को ना जीना अधिक बेहतर है क्यों कि बेज़्ज़त हो कर सिर्फ़ साँस ली जा सकती है, जिया नहीं जा सकता है।
जिन लोगों ने अपमान किया हो, भेदभाव किया हो, दुर्व्यवहार किया हो, उन्हें फिर से दूसरा मौक़ा देना सबसे बड़ी मूर्खता होती है॥
जिस प्रकार हारना बुराई नहीं है, हार मान लेना बुराई है,
उसी प्रकार विरोध में खड़े होना बुराई नहीं है, घुटने टेक देना बुराई है॥
उठना, खड़े होना और अपने संकल्प पर दृढ़ रहना मनुष्य होने की पहचान है, अन्यथा पशुओं और मनुष्यों में कोई भेद ना रहे।