नवरात्रि विशेष
मेरी माता कितनी भोली
सिंह सवारी निकली डोली
दैत्यों का संघार मां करती
भक्तों का उद्धार मां करती
जो भी इनके दर पे आता
खाली झोली कभी न जाता
मां का गुणगान हो रहा है
मां का जयकारा गूंज रहा हैं
जयकारा शेरावाली का
जयकारा मेहरावली का
मां आश लगा के आई हूं
कब से झोली फैलाई हूं
जो तेरे दर पे शीश नवावे
मां का आशीष सदा वो पावे।
— विजया लक्ष्मी