राजस्थान सरकार vs प. धीरेंद्र शास्त्री
राजस्थान की धर्मांध सरकार ने उदयपुर में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया। प. धीरेंद्र शास्त्री ने महाराणा भूपाल स्टेडियम में भारतीय नव वर्ष पर आयोजित धर्मसभा में कुंभलगढ़ दुर्ग पर भगवा ध्वज फहराने की बात कही थी, इसके बाद राजसमंद के पांच युवक कुंभलगढ़ दुर्ग पर भगवा ध्वज फहराने पहुंच गए थे। पुलिस ने उक्त मामले में पांचों युवकों को गिरफ्तार किया तथा पंडित धीरेंद्र शास्त्री के विरुद्ध आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मामला दर्ज किया। पुलिस का आरोप है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री के उत्तेजक भाषण से सामाजिक सौहार्द बिगड़ा है, इसके कारण उनके विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया है। समझने वाली बात है कि भारत संतो की भूमि में राजपूती शिरोमणि राणा कुंभा के दुर्ग कुंभलगढ़ पर भगवा फहराने पर किसको आपत्ति है ? हमारी ऐतिहासिक विरासत पर यदि हिन्दू नववर्ष पर भगवा फहराया जाता है तो यह हमारे ऐतिहासिक सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जाता है। परंतु राजस्थान की धर्मांध सरकार भगवा फ़हराने को भी अपराध मानती है, अब देखने वाली बात यह है कि राजस्थान में किन-किन सनातनी संतो के विरुद्ध प्रकरण दर्ज होते हैं ? वैसे समझे तो पंडित धीरेंद्र शास्त्री तभी से सनातन विरोधियों के निशाने पर आ गए थे जबसे आपने लव जिहाद के विरुद्ध लोगों का जागरण आरंभ किया, दूसरे पंथ में जा चुके भ्रमित लोगों को घर वापसी करा कर सनातन धर्म में वापस लिया । तभी से बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री सेकुलर गैंग के निशाने पर है। आगे भी हो सकता है सेकुलर गैंग शासित राज्यों में धीरेंद्र शास्त्री के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हो। क्योंकि ये सेकुलर गैंग सामने से सनातन का विरोध नहीं कर सकती परंतु पीठ पीछे धर्म के लिए सनातन के लिए कार्य करने वाले कथा वाचक, संतों महंतों संगठनों पर हर प्रकार के प्रतिबंध लगाने का काम सेकुलर गैंग शासित राज्यों में स्वतंत्रता के बाद से होता आया है और लगातार हो रहा है। जबकि कैमरा जनता मीडिया के सामने सेकुलर गैंग सनातनी होने का ढोंग रचते हैं, स्वयं को कट्टर हिन्दू बताते है, कोर्ट के आगे जनेऊ पहनते है और कैमरा हटते ही सनातन के विरोध में षड्यंत्र में लिप्त हो जाते हैं। देश की जनता को अब समझ जाना चाहिए कि धर्म की बात करने वाले धर्म का प्रसार करने वाले सनातन धर्म की रक्षा करने वाले हर संत हर कथावाचक व संगठन के साथ खड़े होकर सनातन धर्म की संगठित शक्ति से इन धर्म विरोधियों को उत्तर देना आवश्यक हो गया है।
— मंगलेश सोनी