गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खिला जब फूल चम्पा चमन चाहत के नजारो में
कि जैसे एक नया कोपल निराला बन बहारो में|
मिले जब ताजगी आती महक भी मन लुभाती सी
चला लेकर सुनाने को मग्न मन भी निहारों में|
घुमे खग भी दिखे उड़ते निकल अपनी पनाओ से
बुला सब को सुनाये गीत मनभावन इशारों में|
भरी प्यारी कुहू कोयल सुनती गान चाहों के
हिया भी मचल पाया जान अफसाना करारों में|
हुआ पल आकर्षित खोये लुभाये जग पुकारों में
देखूं “मैत्री” सदा उभरे हुए हसीन विचारों में|
— रेखा मोहन

*रेखा मोहन

रेखा मोहन एक सर्वगुण सम्पन्न लेखिका हैं | रेखा मोहन का जन्म तारीख ७ अक्टूबर को पिता श्री सोम प्रकाश और माता श्रीमती कृष्णा चोपड़ा के घर हुआ| रेखा मोहन की शैक्षिक योग्यताओं में एम.ऐ. हिन्दी, एम.ऐ. पंजाबी, इंग्लिश इलीकटीव, बी.एड., डिप्लोमा उर्दू और ओप्शन संस्कृत सम्मिलित हैं| उनके पति श्री योगीन्द्र मोहन लेखन–कला में पूर्ण सहयोग देते हैं| उनको पटियाला गौरव, बेस्ट टीचर, सामाजिक क्षेत्र में बेस्ट सर्विस अवार्ड से सम्मानित किया जा चूका है| रेखा मोहन की लिखी रचनाएँ बहुत से समाचार-पत्रों और मैगज़ीनों में प्रकाशित होती रहती हैं| Address: E-201, Type III Behind Harpal Tiwana Auditorium Model Town, PATIALA ईमेल [email protected]