बाल कहानी

दीपू का मोबाइल

स्कूल की छुट्टियां शुरू हुई तो रीता ने अपनी मम्मी के घर जाकर रहने की घोषणा कर दी। दोनों बच्चे दीपू और चीकू भी उछल पड़े। नानी के पास जाने से ज्यादा दूसरी कोई भी बात उन्हे छुट्टियों में पसंद नहीं आती थी। नाना नानी एक बड़े से घर में रहते थे। उन्होंने दो गाय भी रखी हुई थी। उनके घर के बगीचे में बहुत से पेड़ थे। छुट्टियों में आम के पेड़ पर खूब आम आते थे। बच्चों को उनका स्वाद भी खूब भाता था। ट्रेन में सफर करके दोनों बच्चे चहकते हुए अपनी नानी के घर पहुंचे। नानी की खुशी का ठिकाना नहीं था। साल भर वे दोनों छुट्टियों का इंतज़ार करते। यही वह समय था जब वे अपने दोनों नटखट नातियों से मिल पाते थे। इतने बड़े घर में दिन भर कूद फांद करके, गाय के बछड़ों के साथ खेलकर रात में नानाजी के पास ही दोनों ने अपनी चारपाई बिछा ली। कहानी सुनने का समय जो आ गया था।
रीता ने दीपू की शिकायत करते हुए बताया कि वह दिन भर मोबाइल में गेम खेलता रहता है। ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान ही उसने कई गेम डाउनलोड कर लिए थे। अब जब भी समय मिलता मोबाइल के साथ ही समय बिताता था। नाना ने पूछा ,”रीता क्या तुम भी मोबाइल अधिक समय तक उपयोग करती हो ?” रीता सकपकाई पर उसने ईमानदारी से अपने पापा के प्रश्न का उत्तर दिया,” पापा ऑफिस के काम से घर पर भी मोबाइल से काम करना पड़ता है। मैसेज चेक करते रहना पड़ता है।” दीपू ध्यान से दोनों की बातें सुन रहा था। ,”नानू, पहले कहानी सुनाओ ना।” उसने ज़ोर से कहा। चीकू ने भी उसकी बात का समर्थन किया। नानू ने कहानी प्रारंभ की।
“किसी गांव में एक छोटा बच्चा रहता था। बहुत अच्छा बच्चा था लेकिन उसे एक लत पड़ गई। वह बहुत ज्यादा मात्रा में मिठाई खाने लगा। उसके माता पिता चिंतित थे। गांव के बाहर एक साधु कुटिया बनाकर रहता था। गांव वालों की समस्या का समाधान भी किया करता था। बच्चे के माता पिता उसे लेकर साधु के पास गए और अपनी परेशानी बताई। साधु ने बच्चे को कुछ दिनों के लिए अपनी कुटिया में छोड़ देने को कहा। उसके माता पिता ने कारण पूछा तो उन्होंने बताया ,” हम जिस काम को स्वयं करना नहीं छोड़ सकते हैं,दूसरों से भी नहीं छुड़वा सकते हैं। मैं कंद मूल का सेवन करता हूं। मेरे साथ कुछ दिन रहेगा तो तुम्हारा बेटा भी वही खायेगा। इस तरह इसकी मिठाई खाने की आदत छूट जायेगी।” बच्चे के माता पिता साधु की बात समझ गए और उन्होंने प्रण किया कि वे घर में तब तक मिठाई नहीं रखेंगे जब तक उनके बेटे की आदत नहीं छूट जाती है। कहानी सुनकर नानू ने रीता की ओर देखकर कहा ,” दीपू को कुछ दिनों तक मेरे पास रहने दो। मेरे पास कोई मोबाइल नहीं है। इसकी भी आदत छूट जायेगी। रीता को अपनी समस्या का समाधान मिल गया था। बच्चे कहानी सुनकर सो चुके थे।
— अर्चना त्यागी

अर्चना त्यागी

जन्म स्थान - मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश वर्तमान पता- 51, सरदार क्लब स्कीम, चंद्रा इंपीरियल के पीछे, जोधपुर राजस्थान संपर्क - 9461286131 ई मेल- [email protected] पिता का नाम - श्री विद्यानंद विद्यार्थी माता का नाम श्रीमति रामेश्वरी देवी। पति का नाम - श्री रजनीश कुमार शिक्षा - M.Sc. M.Ed. पुरस्कार - राजस्थान महिला रत्न, वूमेन ऑफ ऑनर अवॉर्ड, साहित्य गौरव, साहित्यश्री, बेस्ट टीचर, बेस्ट कॉर्डिनेटर, बेस्ट मंच संचालक एवम् अन्य साहित्यिक पुरस्कार । विश्व हिंदी लेखिका मंच द्वारा, बाल प्रहरी संस्थान अल्मोड़ा द्वारा, अनुराधा प्रकाशन द्वारा, प्राची पब्लिकेशन द्वारा, नवीन कदम साहित्य द्वारा, श्रियम न्यूज़ नेटवर्क , मानस काव्य सुमन, हिंदी साहित्य संग्रह,साहित्य रेखा, मानस कविता समूह तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। प्रकाशित कृति - "सपने में आना मां " (शॉपिजन प्रकाशन) "अनवरत" लघु कथा संकलन (प्राची पब्लिकेशन), "काव्य अमृत", "कथा संचय" तथा "और मानवता जीत गई" (अनुराधा प्रकाशन) प्रकाशन - विभिन्न समाचार पत्रों जैसे अमर उजाला, दैनिक भास्कर, दैनिक हरिभूमि,प्रभात खबर, राजस्थान पत्रिका,पंजाब केसरी, दैनिक ट्रिब्यून, संगिनी मासिक पत्रिका,उत्तरांचल दीप पत्रिका, सेतू मासिक पत्रिका, ग्लोबल हेराल्ड, दैनिक नवज्योति , दैनिक लोकोत्तर, इंदौर समाचार,उत्तरांचल दीप पत्रिका, दैनिक निर्दलीय, टाबर टोली, साप्ताहिक अकोदिया सम्राट, दैनिक संपर्क क्रांति, दैनिक युग जागरण, दैनिक घटती घटना, दैनिक प्रवासी संदेश, वूमेन एक्सप्रेस, निर्झर टाइम्स, दिन प्रतिदिन, सबूरी टाइम्स, दैनिक निर्दलीय, जय विजय पत्रिका, बच्चों का देश, साहित्य सुषमा, मानवी पत्रिका, जयदीप पत्रिका, नव किरण मासिक पत्रिका, प दैनिक दिशेरा,कोल फील्ड मिरर, दैनिक आज, दैनिक किरण दूत,, संडे रिपोर्टर, माही संदेश पत्रिका, संगम सवेरा, आदि पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन। "दिल्ली प्रेस" की विभिन्न पत्रिकाओं के लिए भी लेखन जारी है। रुचियां - पठन पाठन, लेखन, एवम् सभी प्रकार के रचनात्मक कार्य। संप्रति - रसायन विज्ञान व्याख्याता एवम् कैरियर परामर्शदाता।