कविता

आत्मविश्वास

हताश होना मना है, आत्मविश्वास की लौ जलाता चल,
अभी अंधेरा है तो उजाला जरूर आएगा, सबको बताता चल,
सुख कहां सदा टिका है, दुःख भी आके चला जाएगा,
साहस से सामना कर, हर दुःख दुम दबाकर भाग जाएगा.

पथ की बाधाओं से लड़ता चल, ध्येयनिष्ठ सदैव ही बनता चल,
मन में उमंग का अंकुर उगा, विजय का जश्न मनाता चल,
सकारात्मक सोच अपना, तनावों-विकारों से मुक्त जीवन बना,
देशहित में समस्त जीवन लगा, बलिदान भी अमर कर जाएगा.

जल पूरा जीवन वृक्ष को सींचकर, मग्न रहता है बड़ा करने में,
जल लकड़ी को डूबने नहीं देता, विश्वास से ही तू तर पाएगा,
निराशा के अंधेरों में बैठकर, कब मुश्किलों का हल निकला है!
सदा ही बेहतरी की उम्मीद से, मन को रोशन तू कर पाएगा.

शीतल जल के कुएं के आगे, झुकने से ही प्राप्त कुछ होता है,
नम्रता से जीवन को सजा, खुशियों से ताल मिला तू पाएगा,
चुनौतियों के दौर जल्दी बीतेंगे, खुशियों का समां भी उभरेगा,
चुनौतियों के कंटक हटा, खुशियों की शुभ सौगात पाएगा.

न हो निराश, समय दिखाता, जीवन में सुख-दुःख का खेला,
उदासी के बादल शीघ्र ही छटेंगे, बिंदास होके चल तू अलबेला,
आत्मविश्वास की संजीवनी बूटी बना, जीवन का आधार बना ले,
सहज ही कठिन लक्ष्य होगा प्राप्य, लक्ष्य का उत्सव मना ले.

आत्मविश्वास से जीवन के, स्वप्न हो सकते साकार,
इरादों को सुदृढ़ कर बढ़ाता चल, विश्वास के साथ सदाचार,
सफलता का सागर होगा लबालब, आत्मविश्वास का आधार ले,
मंजिल मिल जाएगी यकीनन, विश्वास की पतवार ले.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244