कविता

प्रियवन्दना कविता

मरुभूमि समान न शुष्क बनो,
अब बादल भी बनके बरसो।
प्रिय चाहत सागर की समझो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो ।।१।।
घट यौवन व्यर्थ न बन्द करो,
छलको मम प्यास बुझा अब दो।
मृदु कोकिल नाद जरा कर लो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।२।।
नवराग सुनाकर प्यारभरा,
यह शाम सुकून से युक्त करो।
फिलहाल खुशी यह दो मुझको,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।३।।
उलझूँ कच-कानन में हंसता,
सिमटूँ सुख-आँचल में शिशु-सा।
कर प्रेम प्रस्वेदभरा कर दो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।४।।
धड़के दिल देख तुझे बहुधा,
तड़पे तन भी छवि कोमल से।
मचले मन की अब प्यास हरो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।५।।
दिन भी रजनी सम यौवन में,
लगता दुनिया सिमटी तुझमें।
धन-वैभव तुच्छ लगे अब तो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।६।।
तुझसे रह दूर घुटे दम है,
यह शीतल चाँद भी गर्म लगे।
मिल व्याकुलता दिलकी हर लो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।७।।
तुमसे रह दूर न चैन मिले,
खुद से करूँ द्वेष न कष्ट मिटे।
अब सुन्दरि! दर्प जरा तज दो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।८।।
हर श्वास तथा दिल में तुम हो,
तुम बन्धु,सखी, तुम जीवन हो।
हृदयेश्वरि! प्राणप्रिया तुम हो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।९।।
टुकड़े दिलके करके न हंसो,
फरियाद करूँ अब प्यार करो।
यह ख्वाब हकीकत में बदलो,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।१०।।
न बसे इन नैनन में सपने,
तुमसे मिल दूर हुए अपने।
फिर भी न गिला शिकवा मुझको,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।११।।
न दुआ दिलकी सुनता रब है,
तुमको न कुबूल बफ़ा सच है।
पर जीवन अर्पित है तुमको,
मुझसे तुम प्रेयसि! प्यार करो।।१२।।
— डॉ. युवराज भट्टराई

डॉ. युवराज भट्टराई

जन्म : 04 मार्च, 1988 पिता का नाम: स्व.श्री हरिप्रसाद भट्टराई माता का नाम: स्व. श्रीमती तुलसा भट्टराई आजीविका : बाल भारती पब्लिक स्कूल में संस्कृत/हिन्दी शिक्षक, आकाशवाणी में संस्कृत वार्ता प्रवाचक/अनुवादक का अंशकालिक कार्य, दूरदर्शन संस्कृत डेस्क में सह-संपादक एवं वार्ताहर का अंशकालिक कार्य, स्वतन्त्र अनुवाद कार्य, सामाजिककार्य: स्वस्तिवाचन संस्था में उपाध्यक्ष, हाम्रो स्वाभिमान ट्रस्ट में युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष। प्रकाशन: वाग्विलासिनी (भक्ति काव्य), साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत (2019), मनोSनुरञ्जिनी (शृङ्गार काव्य), तनीयसी (बाल काव्य), सम्मान तथा पुरस्कार : साहित्य अकादेमी युवा पुरस्कार, वाग्योग युवा प्रतिभा सम्मान वाग्योग चेतना पीठम् वाराणसी द्वारा, विद्वद् भूषण सम्मान, अखिल भारतीय विद्वत्परिषद् द्वारा विशेष : अनेकानेक कवि-गोष्ठियों, कवि-सम्मेलनों आदि में सक्रिय भागीदारी। रेडियो, टी.वी. में अनेक कार्यक्रम। टी.वी. तथा आकाशवाणी के अनेक वृत्तचित्रों, कार्यक्रमों में आलेख लेखन। साहित्य अकादेमी के बहुभाषी कवि सम्मेलन में संस्कृत का प्रतिनिधित्व, आवाससंकेत: 29ए अपर ग्राउंड फ्लोर, गली नं.05, प्रेम विहार, नगली डेयरी नजफगढ़ नई दिल्ली-110043 सम्पर्क सूत्र : 9899472507