कुण्डली/छंद

घनाक्षरी छंद

तन पर रमा भस्म, गले नाग हार डाले,
जटा बीच गंगा धर, सृष्टी रखवारे हैं ।

भूत प्रेत नर नारी, तुम्हें ही सेवते सारे
महाकाल त्रिपुरारी, नाम ये तुम्हारे है।

जप कर नाम तेरा, खुशियों का हो बसेरा,
कण कण धरती का, तेरे ही सहारे है।

मृगछाला अंग सोहे, चेहरे का तेज मोहे
सती वाम अंग लेके, देव यू पधारे हैं ।

— अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

अनुपमा दीक्षित भारद्वाज

नाम - अनुपमा दीक्षित भारद्वाज पिता - जय प्रकाश दीक्षित पता - एल.आइ.जी. ७२७ सेक्टर डी कालिन्दी बिहार जिला - आगरा उ.प्र. पिन - २८२००६ जन्म तिथि - ०९/०४/१९९२ मो.- ७५३५०९४११९ सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन छन्दयुक्त एवं छन्दबद्ध रचनाएं देश विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रो एवं पत्रिकाओ मे रचनाएं प्रकाशित। शिक्षा - परास्नातक ( बीज विग्यान एवं प्रोद्योगिकी ) बी. एड ईमेल - adixit973@gmail.com