हास्य व्यंग्य – नेताजी भावुक हैं
चुनाव आने वाले हैं चुनाव का संबंध नेताजी से है और नेताजी का संबंध चुनाव से है, जनता से है ,भावुकता से है.,. सबके मिक्सचर से कुर्सी रूपी प्रोडक्ट तैयार होता है। । चुनाव का महात्म इतना है कि वोट देने वाला और वोट पाने वाला दोनों अपने गणित लगाते हैं एक लगाता है कि वह खुद जीत जाए और एक लगाता है कि जिसको चाहता है वह जीत जाए। जिसके पासे ठीक-ठाक रहते हैं । उसको मिलती है कुर्सी और बाकी जो बच जाते हैं । वह कुर्सी की टांग खींचते रहते है। और तब तक खींचते रहते हैं जब तक उस पर बैठा हुआ गिर ना जाए और वह खुद उस पर आसीन ना हो जाए।
खैर.. हमारे क्षेत्र के नेता गड़बड़ी लाल भी चुनाव में उठने वाले हैं। गड़बड़ी लाल पहले भी कई बार चुनाव जीत चुके हैं । लेकिन पिछला चुनाव हार गए थे। इसलिए इस बार कोई चूक नहीं करना चाहते हैं। नेताजी चुनाव का सुनकर अत्यंत भावुक है और उनकी भावुकता देखकर मैं भावुक होती जा रही हूं ।
उनके भावुक होने का आलम यह है कि कल शाम को एक कुत्ते को रोते देखकर वह उसे पकड़ कर बुक्का फाड़कर रोने लगे। तब मैंने समझाया नेताजी इसका नाम वोटर लिस्ट में नही है । ना यह आपको वोट दे सकता है। तब जाकर नेता जी ने कुत्ते को छोड़ा और तब कुत्ते और मैंने चैन की सांस ली। और कुत्ता तो भागा जैसे उसने नेताजी नहीं किसी भूत ने पकड़ा था। इंसानों की ही नही कुत्तों की भी याददाश्त होती है। बेचारा अब जब भी नेता जी को देखेगा पिछली गली पकड़ लेगा।
इसी तरह सड़क पर एक भीख मांगते अत्यंत दयनीय काया वाले वृद्ध को देखकर नेताजी उसके पास जाकर मुंह फाड़ कर रोने लगे। मैंने अपना माथा पीट लिया और उनके कान के पास धीरे से जाकर बोली -“अरे नेता जी आप उसकी उम्र और उसकी दशा को देखिए वह ज्यादा से ज्यादा एक या दो हफ्ते ही और जी पाएगा। और आपका चुनाव होने में अभी तीन महीने है। तब जाकर नेता जी ने जल्दी से अपनी बहती नाक पोछ और हाथ झाड़कर उठ खड़े हुए। और मुझे ही डांटने लगे– तुम्हें पहले नहीं बताना चाहिए था “।
मैंने मन में सोचा –नेताजी आप कौन सा मुझसे पूछकर ऊटपटांग कार्य करते हैं।
अगले दिन चंदा मांगने के लिए कुछ लोग आए गड़बड़ी लाल नेता जी ने आव देखा न ताव हो गए शुरू.. फिर से लगे अपना मुंह फाड़ कर रोने और रोने की रफ्तार इतनी थी कि उन्हें थामना मुश्किल हो रहा था। चंदा मांगने वाले हतप्रभ थे । उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि नेताजी को चुप कराया जाए तो कैसे कराएं। तो वह मेरी तरफ देखने लगे। मैंने इशारों इशारों में आश्वासन दिया कोई बात नहीं आप लोग शांत रहें ।और नेताजी के कान के पास जाकर धीरे से बोली–” नेताजी अभी यह सारे वोटर लिस्ट में नहीं होंगे इनकी उम्र वोटर लिस्ट में आने की नहीं है आपका भावुक होना व्यर्थ है । यह सरस्वती पूजा का चंदा मांगने वाले बच्चे हैं । नेता जी ने जब इतना सुना तो तुरंत रोना बंद कर उन लड़कों की तरफ आंख तरेर कर
बोले –“तुम सबको कोई काम नहीं .. आ जाते हो बेकार में चंदा मांगने और भगा दिया।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है नेताजी की भावुकता खतरनाक स्तर तक बढ़ती जा रही है। अब वह इंसान और जानवरों में भेद करना छोड़ दिए हैं । मुझे अच्छी तरह पता है गड़बड़ी लाल नेताजी हर घंटे किसी न किसी को देखकर भावुक होते रहेंगे । पूरे चुनाव होने तक और उन्हें संभालने के चक्कर में मेरी जमकर बैंड बजने वाली है । अब बस ईश्वर से इतनी प्रार्थना है कि जल्द से जल्द यह चुनाव बीत जाए। ताकि मैं भी चैन की सांस लूं और जिन जिन को पकड़कर गड़बड़ी जी बुक्का फाड़कर रोने लगते हैं। उन्हें भी थोड़ी शांति महसूस हो।
— रेखा शाह आरबी