कविता

कोलकाता के कोलाहल में…

टूटे सपनों की किरचें बार बार बटोरता हूं
कोलकाता के कोलाहल में खुद को ढूंढता हूं,
टूटी उम्मीद की कड़ियाँ बार बार जोड़ता हूं,
कोलकाता के कोलाहल में खुद को ढूंढता हूं,
कैश ना सोना, बस दिल का सुकून ढूढ़ता हूं,
कोलकाता के कोलाहल में खुद को ढूंढता हूं
— तारकेश कुमार ओझा 

*तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं। तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) पिन : 721301 जिला पश्चिम मेदिनीपुर संपर्क : 09434453934 , 9635221463