गीत “काँटों की पहरेदारी”
जब-जब आती मस्त बयारें,
तब-तब हम लहराते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
हमसे ही अनुराग-प्यार है,
हमसे मधुमास जुड़ा,
हम संवाहक सम्बन्धों के,
सबके मन को भाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
स्वागत-अभिनन्दन हमसे है,
हमीं बधाई देते हैं,
कोमल सेज नयी दुल्हिन की,
आकर हमीं सजाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
तितली और शहद की मक्खी,
को पराग हम देते हैं,
अपनी मोहक मुस्कानों से,
भँवरों को भरमाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
खुश हो करके मिलो सभी से.
जीवन बहुत जरा सा है,
सुख-दुख में हँसते रहने का,
हम तो पाठ पढ़ाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
तोड़ हमें उपवन का माली,
विजयमाल को गूँथ रहा,
हम गुलाब हैं रंग-बिरंगे,
अपनी गन्ध लुटाते हैं।।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
“रूप” हमारा देख-देखकर,
जग मोहित हो जाता है,
हम काँटों में पलने वाले,
सबको सुख पहुँचाते हैं।
काँटों की पहरेदारी में,
गीत खुशी के गाते हैं।।
—
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)