यादों का झरोखा
छेड दो साथी कोई राग पुरानी
जिसमें छुपी है अपनी प्रेम कहानी
गाँव की पहाड़ी पे थी जो निशानी
जहाँ चलती थी बस तेरी ही जुवानी
हवा का झौंका जब जब था आया
तेरी आँचल भी साथ था लहराया
हवा में महकी रजनीगंधा की खुशबू
रात चाँदनी में होती थी प्रेम गुफ्तगू
देख पपिहरा हमें देती थी तब ताना
हमने उनकी बातों को बुरा ना माना
उनकी फितरत थी जाना पहचाना
क्या कर लिया हमें देख ये जमाना
आ जा मधुबन में प्रेम गीत हम गायें
चैन की अपनी घर में बंसी बजायें
खुशियों को आपने आशयाँ में बुलायें
सुख दुःख हिल मिल कर हम जी पायें
अय रब हम को देना तुम हॅसी का वरदान
पूरा करना हमारा संजोया सब अरमान
प्रातः प्राची में नित्य आये खुशी दिनमान
चैन से गुजर जाये अपन सुबह से हर शाम
— उदय किशोर साह