कविता चिरनिद्रा *ब्रजेश गुप्ता 10/04/2023 किसी दिन सोते सोते रह जायेंगे लोग समझेंगे कि थक गयें हैं गहरी नींद सो रहे हैं इतने थके हैं कि इक करवट ही सो गयें हैं उन्हें अंदाज नहीं दुनियां से थक गएँ हैं इसलिए सदा के लिए सो गयें हैं