संकटमोचक हनुमान
परमवीर रामभक्त, भगवान राम के अनन्य सेवक
मारुति नंदन बजरंगबली हनुमान जी का
पावन जन्मोत्सव आज है,
जिसे दुनिया उनके बारह नामों
हनुमान, अजंनीसुत, वायुपुत्र, महाबल,
रामेष्ट, फाल्गुण सखा, पिंगाक्ष,
अमित विक्रम, उदधि क्रमण, सीता शोकविनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता, दशग्रीव दर्पहा से जानती, पुकारती है
रोज प्रातः काल इन नामों का जाप करती है।
तुलसीदास जी ने जिसे विज्ञानी बताया
जिनके विज्ञान ज्ञान से, दुनिया आज भी हैरान है।
लंका दहन के लिए
रावण की सभा में अपनी पूंछ बढ़ाते जाना
अशोक वाटिका में मां सीता के सामने
अपने लघु और विशालकाय रुप दिखाना
समुद्र के पार जाना विज्ञान ही तो था,
जिसे रामकथा वाचक मुरारी बापू जी
विश्वास का विज्ञान मानते और कहते हैं
लंका मे सीता जी की खोज,
संजीवनी बूंटी लाना, लक्ष्मण की प्राण रक्षा को
वे विश्वास के विज्ञान से ही जोड़ते हैं।
उनके शील को ही उनका चरित्र बताते हैं
चरित्रवान को ही बलवान मानते हैं।
छाती चीर कर भगवान राम की छवि दिखाना
उनके विश्वास को ही तो दर्शाता है।
रावण भी युद्ध में राक्षसों को
किसी और की निंदा करने की तो छूट देता था
पर हनुमानजी की निंदा से
सदा बचने का आदेश दिया था,
क्योंकि वह हनुमान जी को
शिव का ही स्वरुप मानता था।
हनुमान की पवित्रता दुर्लभ है
तुलसीदास जी ऐसा ही मानते थे
तभी तो वह हनुमान का अर्थ
पावित्र्य होना कहते थे,
हनुमान काम पावित्र्य और
हनुमान मोक्ष को भी पावित्र्य बताते थे।
हनुमान को नीति निपुण, नीति निर्धारक मानते थे।
हनुमान जी के जन्म ही नहीं कर्म को भी
दिव्य मानकर समझाते थे।
हनुमान का चरित्र हमें
जहां विश्वास भाव के मायने बताता है
वहीं हमें नकारात्मकता को पीछे छोड़
सकारात्मक सोच से जीवन
समृद्धि करने का संदेश भी देता है।
जिसकी हर सांस में प्रभु श्रीराम बसते हैं।
वही तो हमारे आपके हम सबके
आराध्य, संकटमोचक, चिरंजीवी
वीर बजरंगबली हनुमान हैं,
जिनका जन्मोत्सव हम आज मना रहे हैं,
प्रभु राम की कृपा का प्रसाद पाने के लिए
रामभक्त हनुमान जी को बारंबार शीष झुका रहे हैं।