भिड़ गया चुनौतियों से जो भी वीरवर ।
जंगे मैदान से वही शख्स आया जीतकर ।।
बिखरा नहीं जो शख्स कभी दुख से टूट कर
करती है नाज़ दुनिया बशर ऐसे विनीत पर।
जली है शमां जो भी रात भर बज़्म में ।
कुर्बां हुआ पतंगा है उसी की प्रीत पर।।
परों को अपने हिम्मतों की तुम उड़ान दो ।
हो जाएगा दुखों का घड़ा खाली रीत कर ।।
जीवन को अपने प्यार की सरगम में बांध लो।
यह दुनिया खुद ही नाचेगी तुम्हारे गीत पर ।।
यकीन कर मोहब्बतों पे तू खुदा की दर्द।
कल की चाह में न खुद को भयभीत कर ।।