साहित्यकार व कवियत्री सविता वर्मा ’गजल’ नारी जीवन की अभिव्यक्ति को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत करने का सशक्त हुनर रखती है वे नारी को कभी एकांकी या असहाय नही समझती यदि नारी के जीवन में यदि ऐसा मोड़ या पल आ भी जाता है तो उससे लड़ने जूझने को प्रेरित करती हैं जो इनके लेखन का प्रभावी पक्ष है।इनकी नव वधू सी नई पुस्तक “अभी नयन हैं रीते” कविता संग्रह इसका प्रमाण है।
पुस्तक का मुखपृष्ठ ही इनकी समस्त कविता को स्वत:ही उद्धृत कर देता है पुस्तक का आवरण बहुत ही सजीव और मोहक बन पड़ा है।
अभी नयन हैं रीते” कविता संग्रह के समस्त ५८ कविताएं पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि कवियत्री में ५८ नारियों के जीवन को जीकर इन रचनाओं को रचा हो।प्रत्येक कविता इठलाती सी मचलती सी,कुछ पल को ठहरती सी फिर एक उसांस लेकर चलती सी जीती सी प्रतीत होती है। सविता जी की कविता कहीं-कहीं मां के उदर में पल रही नन्ही सी प्राण की भाषा बोलती है तो कहीं कहीं पारिवारिक जिम्मेदारियों को निबाह रही मां की या अधेड़ नारी का स्वर बन जाती है। कई रंगों और रूपों में जीती है सविता जी अपने कविताओं के पात्रों को। ये विधा इन्हे अन्य लेखकों से भिन्न बनाता है।
सँग्रह की शीर्षक कविता “अभी नयन हैं रीते” ये रचना नारी सशक्तिकरण के परिपेक्ष्य में लिखी सबसे अद्भुत रचना है जिसमे शब्दों का पांडित्य नहीं है, एक नारी की वो अभियव्यक्ति है जो प्रत्येक नारी चाह होती है कि वो पल्लवित हो,शिक्षित हो,उसे भी अपनी एक स्वतंत्र पहचान मिले,विवाह से पहले वह एक परिपूर्ण गृहणी बने,अन्नपूर्णा बने,उसमें नारी संस्कार अंकुरित हो जिससे वो पूर्ण नारी कहलाए।सविता जी की कविताएं नारी शक्ति को उद्वेलित करती कविताएं है।
मैं सुशील योगी लेखक और निर्देशक डॉ सविता वर्मा ’गजल’ को “अभी नयन हैं रीते” कविता संग्रह को कोटिश:लोकप्रियता मिले इसके लिए बधाई देता हूं और आगामी रचनाओं की हम सभी प्रतीक्षा करेंगे।आप शीघ्र ही और पुस्तकें भी अपने पाठक गण के लिए प्रकाशित करें।
इस शुभकामनाओं के साथ।
समीक्षक– सुशील योगी (लेखक,निर्देशक)
मुंबई।
पुस्तक का प्रकाशन उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ की प्रकाशन योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष-2022-23 में किया गया)
पुस्तक-अभी नयन हैं रीते
लेखिका-सविता वर्मा ‘ग़ज़ल’
पृष्ठ-112
मूल्य-500
प्रकाशक-निखिल पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स,आगरा।