राजनीति

कार्य स्थल पर सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण हर कर्मी का हक़

कुछ वर्ष पहले शहर के एक भीड़ भाड़ वाले इलाके में एक चार मंज़िला मकान जो अभी बन रहा था में रात को तेज़ आंधी और तूफ़ान में छत गिर जाने से कई मज़दूर नीचे दब कर मर गए। काफी हाय हला हुआ, प्रेस में कुछ दिनों तक यह खबर सुर्ख़ियों में रही, जिला प्रसाशन द्वारा जांच भी चली और कंस्ट्रक्शन के ठेकेदार पर केस भी चला। ऐसा क्यों हुआ और भविष्य में यह किसी जगह और ना हो इस पर जांच अधिकारीयों ने अपनी रिपोर्ट भी दी। पर तबसे ऐसे हादसे अभी भी हो रहे है।

बरसात के दिनों में खराब सड़को, पानी की निकासी का पुख्ता प्रबंध ना होने के कारण और सड़को पर फेके गए कचरा से सीवर और नालियां अक्सर बंद हो जाती है जिससे पानी खड़ा हो जाता है, पैदल आने जाने वाले और वाहनो को चलने में दिक्कत होती है। तब इन बंद पड़े नालीया और सीवर को साफ करने के लिए शहरो में बने कारपोरेशन और कमेटी के सफाई कर्मी इन को साफ करते है । इन बंद नालियों को साफ़ करते हुए जब पिछले वर्ष कुछ सफाई कर्मी की ज़हरीली गैस के चलते तबियत बिगड़ गई और वो बेहोश हो गए तो इस पर बबाल मच गया था। पता चला की उन सफाई कर्मियों के पास निर्धारित सफाई किट ही नहीं थी ! तब आनन फानन में कुछ किट खरीदे गए।

आप ने अक्सर देखा होगा की ऊंचे पोल पर सीढ़ी के द्वारा जब बिजली के कर्मी या कोई ऊंची इमारत को बनाने के लिए कंस्ट्रक्शन कर्मी काम करते है तो उनकी सुरक्षा के लिए बहुत सी जगह पर पुख्ता इंतज़ाम नहीं होता। उन्हें देख कर एक बार तो हमारा मन कांप जाता है की अगर कोई कर्मी गिर गया तो उसे चोट लग सकती है और मर भी सकता है।

ऐसे झोखाम से भरे कई काम है जहाँ पापी पेट के लिए असुरक्षित मशीनों और माहौल में कर्मी काम करते है। लुधियाना जैसे उद्योगिक शहरों में बहुत से ऐसे छोटे उद्योग है जहाँ पर ना बिजली का और ना हवा का पुख्ता इंतज़ाम है। कई कर्मी छोटे से कमरों में मशीनों पर कम रौशनी और वेंटिलेशन के बिना घंटो काम करते है। ऐसे बहुत से कार्य स्थल है जहा ना आग से दुर्घटना से बचाव के लिए कोई अग्निशामक यन्त्र होता है और ना ही कोई मेडिकल इमरजेंसी के लिए फर्स्ट ऐड बॉक्स होता है।

अकुशल श्रमिको तो बदतर हालत में काम करते है ही, यहाँ तक की महिलाओं और बच्चो को यौन शोषण का भी शिकार हो जाते है। और हमारे कॉर्पोरेट की दुनिया में कौन से हालत सही है ? एक कॉर्पोरेट में काम कर रहे सहायक मैनेजर का कहना है की हर वक़्त टारगेट पूरे करने का तनाव बना रहता है , जिससे उसका पारिवारिक जीवन और सेहत प्रभावित हो रहा है। उसने कहा की उसके पास अपने परिवार के लिए समय ही नहीं मिलता।

हर कर्मी, चाहे वो सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वाला हो को कार्य स्थल पर सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण की जरूरत होती है और यह उसका हक़ है । इसी मकसद के साथ हर साल, कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस 28 अप्रैल को मनाया जाता है। पर ऐसा कम ही होता है। इसका मुख्या कारण बढ़ती हुई बेरोज़गारी है और सिस्टम में लापरवाही है ।

सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों का ज्यादातर वक्त ऑफिस में गुजरता है, ऐसे में कार्यस्थल यानी ऑफिस में उनके स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करना जरूरी है। इसी मकसद के साथ हर साल कार्यस्थल पर सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए विश्व दिवस मनाया जाता है। यह दिवस अप्रैल की 28 तारीख को मनाया जाता है, जो एक वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय अभियान है जो अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन 2003 द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है। हर साल विश्व दिवस की एक खास थीम होती है जो इस इस वर्ष है, ” सकारात्मक सुरक्षा और स्वास्थ्य संस्कृति बनाने में भागीदारी और सामाजिक संवाद”।

अफ़सोस की बात है इसका की कानून होते हुए भी इसका बहुत से कार्य स्थलों पर उलघंन हो रहा है, जिसका मुख्या कारण बढ़ती हुई बेरोज़गारी है और सिस्टम में लापरवाही है ।

आशा की जा सकती है की आने वाले दिनों में हर व्यक्ति बिना किसी भेदभाव और शोषण के डर से अपने कार्य क्षेत्र में काम कर सके गा।

– डॉक्टर अश्वनी कुमार मल्होत्रा
लुधियाना

डॉ. अश्वनी कुमार मल्होत्रा

मेरी आयु 66 वर्ष है । मैंने 1980 में रांची यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस किया। एक साल की नौकरी के बाद मैंने कुछ निजी अस्पतालों में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया। 1983 में मैंने पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज में बतौर मेडिकल ऑफिसर ज्वाइन किया और 2012 में सीनियर मेडिकल ऑफिसर के पद से रिटायर हुआ। रिटायरमेंट के बाद मैनें लुधियाना के ओसवाल अस्पताल में और बाद में एक वृद्धाश्रम में काम किया। मैं विभिन्न प्रकाशनों के लिए अंग्रेजी और हिंदी में लेख लिख रहा हूं, जैसे द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदुस्तान टाइम्स, डेली पोस्ट, टाइम्स ऑफ इंडिया, वॉवन'स एरा ,अलाइव और दैनिक जागरण। मेरे अन्य शौक हैं पढ़ना, संगीत, पर्यटन और डाक टिकट तथा सिक्के और नोटों का संग्रह । अब मैं एक सेवानिवृत्त जीवन जी रहा हूं और लुधियाना में अपनी पत्नी के साथ रह रहा हूं। हमारी दो बेटियों की शादी हो चुकी है।