व्यंग्य : साहित्य का रेट
देख किताबें पूछा हमने
जब साहित्य का रेट
व्यस्तता दिखाते दुकानदार जी बोले –
करो जरा तुम वेट…
150/- रुपए प्रति किलो
इनका लगेगा दाम,
जल्दी से चुनो और खरीदो पुस्तकें
मुझे बहुत हैं काम।
सौदा करते तब हम बोले –
“थोड़ा तो दाम घटाओ
हिंदी में साहित्य है इसलिए भैय्या
रेट सही तुम लगाओ।”
समझाते मुझको वे बोले –
“तुम ऑफ सीजन में आना
तब तुम अपना मनचाहा साहित्य
100 रुपए किलो में ले जाना।”
“हिंदी पखवाड़ा है आजकल
बड़ा रहता है काम
चाहे 12-15 किलो साहित्य ले लो
घटेगा न कोई दाम।”
रद्दी के भाव “खरीद” साहित्य किया हमने
बिग बाजार को प्रस्थान
क्योंकि अब लेना था हमको
अंग्रेजी साहित्य का ज्ञान ।।
अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’