पांखड
धर्म के नाम पर करते खिलवाड़
उल्टा सीधा कर्म है इनका संसार
भूल गये साधु संत का संस्कार
कानून का तमाचा जड़ो सरकार
बेईज्जती की जिनको परवाह नहीं
धर्म को बनाया है रोजगार कहीं
मठ बना कर करते हैं गलत काम
मूरख बन रही जनता इनसे तमाम
कितने का जीवन को अंधेरा में डाला
मासुम भोले भाले बनते इनका निवाला
कानून से जब पड़ जाता है कभी पाला
जेल पहुँचते निकल जाता है दिवाला
खुद भगवान का अवतार बतलाता
देवदूत बन सबको है समझाता
अच्छे अच्छे को कभी चूना भी लगाता
ढोंग का नया आयाम सब को दिखलाता
ढोंगी पांखंडी का करना है अब पहचान
खुद का कष्ट का ये नहीं कर पाया निदान
फिर कैसे ये कहलाता है खुद भगवान
बचना इन पाखंडी से रे जग में इन्सान
— उदय किशोर साह