लघुकथा

लघुकथा – कुछ तो करो

आज हम पति- पत्नी दोनों रात्रि भोजन हेतु भोजनालय पहुंचे‌। भीड़ को देख हमने एक किनारे बैठना ही ठीक समझा। जहां से सब कुछ स्पष्ट दिख रहा था।( वेटर) के रूप में एक छोटा बच्चा( राम) पानी रखकर बोला– क्या लेंगे साहब ?
मेरी नजर उस छोटे बच्चे से हटा भी न था। इतने में श्रीमती जी ने कह दिया दो रोटी तड़का और कॉफी।
जी अभी लाता हूं।
हम वहीं बैठ भोजनालय की व्यवस्था देख रहे थे ।इतने में भोजन की थाली थमा वह वापस जा ही रहा था कि मैंने उसे रोकते हुए कहा– बेटा, इधर सुनो
हां साहब, तुम्हारा क्या नाम है ।
रोहित
पूरा नाम!
रोहित बागवान ।
अच्छा बेटा, कितना मिल जाता है तुम्हें
बच्चा सोच में पड़ गया फिर कहा– नहीं साहब, ज्यादा नहीं, ₹500 और रोज दोपहर का भोजन।
अच्छा!
इतना कह ,वह वहां से चला गया।
दुकान बंद होने का समय हो रहा था। हम भी निकल ही रहे थे कि वह लड़का (रोहित) भी हमारे साथ ही बाहर निकला।
उसे देख मेरे मन में सवालों की भवर उठने लगे। इतने में मैं पूछ बैठा– तुम्हारा घर कहां है बेटा?
बस , थोड़ी दूर पर ही!
अच्छा मुझे अपने घर ले चलोगे?
चलिए
फाटक पर खड़े पिताजी मानो बच्चे का इंतजार कर रहे हो।
आ गए बेटा
हां बाबा,
ये कौन है तुम्हारे साथ?
बाबा मैं घर आ रहा था तो बस साथ आ गए।
अच्छा बैठिए।
बैठने का तो वक्त नहीं है रात बहुत हो चुकी है ।पर बुरा ना माने तो मैं एक बात कहूं– आपका बेटा बहुत ही प्यारा है।
पिता ने हाथ फेरते हुए कहा– हां ,बहुत ही चतुर भी है।
लेकिन आपने इसे इतनी कम उम्र में भोजनालय क्यों भेज दिया। वहां से अधिक सुविधाएं तो आजकल विद्यालयों में दी जाती है। जिससे आपके बच्चे का भविष्य भी उज्जवल हो जाएगा ‌। दोपहर का भोजन कपड़े यहां तक कि पोस्टिक आहार भी भरपूर मात्रा में दिया जाता है ‌‌।कम से कम उन्हें मौलिक शिक्षाएं तो लेने दीजिए जिम्मेदारियों का बोझ तो उन्हें जीवन भर ढोना ही है। उसके बचपन को यूं नष्ट ना कीजिए और यह कानूनी अपराध भी है यदि किसी ने कंप्लेंट कर दिया तो आपको जेल भी हो सकती है ।बच्चों पर तो देश का भविष्य टिका है उसे हमें बर्बाद नहीं होने देना चाहिए ।इतना कुछ सुन पित्ताश्री बोले– आप सही कह रहे हैं।
इतने में रोहित कह दिया। हां बाबा, मैं भी कल से विद्यालय जाऊंगा ।बेटे का यह बोलना मानो पिता का दिल को कचोट दिया। एक तरफ पिता हाथ जोड़कर कहने लगे। आपने मेरी आंखें खोल दी ।मेरे बेटे का भविष्य अंधकार में होने से बचा लिया। वही दूसरी ओर अपने दिन को सार्थक समझ वहां से मुस्कुरा कर चल दिए।
— डोली शाह

डोली शाह

1. नाम - श्रीमती डोली शाह 2. जन्मतिथि- 02 नवंबर 1982 संप्रति निवास स्थान -हैलाकंदी (असम के दक्षिणी छोर पर स्थित) वर्तमान में काव्य तथा लघु कथाएं लेखन में सक्रिय हू । 9. संपर्क सूत्र - निकट पी एच ई पोस्ट -सुल्तानी छोरा जिला -हैलाकंदी असम -788162 मोबाइल- 9395726158 10. ईमेल - [email protected]