लघुकथा

स्वाभिमान

गोद में दुधमुंही बच्ची को लेकर सड़क किनारे बैठी शांति जोर जोर से आवाज़ें लगा रही थी,”गुब्बारे ले लो,बाबूजी ,गुब्बारे ले लो मैडम जी”!!
वहीं उसका शराबी पति बेवजह बीवी बच्चों को गरिया रहा था।
रेड लाइट पर खड़ी निक्की ने मदद की मंशा से शांति से 2 गुब्बारे खरीदे और 500 का नोट थमाने लगी। शांति बोली,” मेमसाहेब, छुट्टे दीजिए न।”
500 ही रख लो, निक्की ने कहा।
“नहीं मेमसाहेब, हम गरीब ज़रूर हैं, लेकिन लाचार नहीं। भगवान के दिए इन हाथों से हम मेहनत करते हैं और पेट भरते हैं”, यह कहते हुए शांति ने 480 रुपए निक्की को वापिस लौटा दिए।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली