माँ की आँखों से कभी ओझल ना होना प्यारे,
जीवन के पहियों के नीचे गड़ ना जाना प्यारे,
धुरी तो है बारीकी से पीसेगी सबको,
तुम बस पिसते हुए हार न जाना प्यारे।
एक बाबा हैं जिन्हें तुम्हारे कंधे की ज़रूरत है अब,
उन्हीं कंधों का बोझ तुम अपनी अर्थी से बढ़ा न जाना प्यारे,
जीवन है, संघर्ष है, ये रहेगा आजीवन ही,
मेरी बस एक बात है तुम हार न जाना प्यारे|
आज काँटों भरा बिस्तर है, डूब रहे हो तुम मजधार है,
पाओगे एक दिन तुम भी फूलों भारी सेज,
सबसे महकता होगा तुम्हारा तेज़।
हो सके तो अपने अश्रुओं के कंपन को रोक लेना,
माथे की शिकन हटा कर जीने का शौक़ लेना
ऐसा भी तुम ना करना प्यारे,
तुम लौट ना पाओ कभी उस दुनिया से,
और तुम्हारे अपने पीछे रह जायें संसार के सहारे।
— रेखा घनश्याम गौड़