कृतज्ञता
कृतज्ञता
“प्रोफेसर साहिबा, आखिर आपको ही हम कुलपति के रूप में क्यों चुनें ?”
“सर, किसी न किसी को तो आपको कुलपति के रूप में चुनना ही है। मैं इस पद के लिए अपेक्षित सभी योग्यताएं रखती हूं। महिला हूं, ऊपर से आरक्षित वर्ग से भी आती हूं। यदि आप मुझे कुलपति के रूप में चुनते हैं, तो आपकी सरकार के प्रति लोगों के मन में एक सकारात्मक सोच आएगी कि आपने एक दलित जाति महिला को इस विश्वविद्यालय के लिए कुलपति चुना।”
“बात तो आपकी सही है। पर देखिए प्रोफेसर साहिबा, आप तो कुलपति बन जाएंगी उससे हमें क्या मिलेगा ?”
“सर, यदि मैं कुलपति बन गई तो वहां जितने भी पद रिक्त हैं, वहां आप जिन्हें कहेंगे, मैं उन सबकी नियुक्ति पत्र जारी करा दूंगी। पहली ही दीक्षांत समारोह में आपको और जिन्हें भी आप कहेंगे, उन सबको पीएच. डी. की मानद उपाधि दिलाऊंगी। रोजमर्रा के कामकाज में जितनी भी निविदाएं जारी होंगी, उसमें आपके निर्देशानुसार ही कार्यादेश जारी कराऊंगी।”
“ठीक है कुलपति महोदया। अपनी ये सब बातें याद रखिएगा।”
दोनों ने अपना वादा याद रखा।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर छत्तीसगढ़