गीत
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन के तटबंध जबरन तोड़कर।
फिर पुरानी याद ने दस्तक दिया है,
खुल गईं दिल पे लगी सब बंदिशें।
धमनियों में ज्वार बन तूफान जागा,
मिट गईं दरम्यान से सब रंजिशें।।
क्या मिला रिश्तों की डोरी जोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन के तटबंध जबरन तोड़कर।।
नर्सरी से साथ में कॉलेज जाना,
सीखना,मिलना,मिलाना,रूठना।
गीत, ग़ज़लों, शायरी से डायरी के,
अनगिनत पन्नों पे सपने रोपना।।
फेंकना यूँ दिल का गुल्लक फोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन के तटबंध जबरन तोड़कर।।
ज़िंदगी मीठी है या कड़वी, कसैली,
हर किसी के पास है अपनी तुला।
लोग अपने दिल पे सौ ताले जड़े हैं,
और मेरे दिल का हर पन्ना खुला।।
चल दिए दिल को अकेला छोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन के तटबंध जबरन तोड़कर।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध