गीत/नवगीत

गीत

आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन  के   तटबंध जबरन तोड़कर।
फिर पुरानी याद ने दस्तक दिया है,
खुल गईं दिल पे लगी सब बंदिशें।
धमनियों में ज्वार बन तूफान जागा,
मिट गईं दरम्यान से सब रंजिशें।।
क्या मिला रिश्तों की डोरी जोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन  के  तटबंध जबरन तोड़कर।।
नर्सरी  से  साथ में कॉलेज जाना,
सीखना,मिलना,मिलाना,रूठना।
गीत, ग़ज़लों, शायरी से डायरी के,
अनगिनत पन्नों पे सपने रोपना।।
फेंकना यूँ दिल का गुल्लक फोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन  के  तटबंध जबरन तोड़कर।।
ज़िंदगी मीठी है या कड़वी, कसैली,
हर किसी के पास है अपनी तुला।
लोग अपने दिल पे सौ ताले जड़े हैं,
और मेरे दिल का हर पन्ना खुला।।
चल दिए दिल को अकेला छोड़कर।
आज फिर आँसू बगावत कर रहे हैं,
नैन  के  तटबंध जबरन तोड़कर।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन