कविता

बदनाम गली की माँ

थक जाती है औरत
पर माँ नहीं मानती हार
चाहे हो बदनाम गली की माँ
अपनी संतान को
सर्वाधिक प्यार करती है माँ
उसकी रक्षक बन
सुरक्षित रखती है माँ अपने आँचल के तले
शान से कहती है – हाँ
 नहीं जानती मेरी संतान
अपने पिता का नाम
उसे गर्व है मेरे मातृत्व पर
पर भरना है उसे
दोनों का नाम
है प्रश्नचिह्न समक्ष
उपहास उड़ाता सफेद वर्ग
काली स्याही
भरता शान से
माँ और बदनाम गली का नाम ।
मौलिक एवं प्रकाशनार्थ
— डाॅ. अनीता पंडा अन्वी 

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA [email protected]