Author: डॉ. अनीता पंडा

कविता

तिन्ना छंद

1मेरी राधा।देखो बाधा।।लागे नैना।ना ही चैना।।2तू ही न्यारी।मेरी प्यारी।।देवी सारी।जो है नारी।।3जागे रैना।मेरे नैना।।बोले बैना।तू ही चैना।। — डॉ. अनीता

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भाषा-साहित्य

भक्तिकालीन संत काव्य की प्रासंगिकता

उत्पन्ना द्राविडेचाहं कर्नाटे वृद्धिमागता।स्थिता किन्चिन्महाराष्ट्रे गुर्जरे जीर्णामता।।अर्थात् “श्रीमद्भागवत” में व्यास महर्षि ने भक्ति के मुख से यह कहलवाया है कि

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