कविता

कहमुकरी 

है हमारी प्यारी  हमजोली

दिन-रात वह साथ रहती

मध्याह्न में हममें मिल जाती 

क्या सखि माया? ना सखि छाया।

जो दिल में राज करती

मीठी जिसकी बोली लगती 

दुःख-सुख में साथ निभाती 

क्या सखि सिन्धी? ना सखि हिन्दी। 

वह घनश्याम कहलाता 

सब पर अपना नेह लुटाता

तन-मन हर्षित करता 

क्या सखि साजन? ना सखि सावन।

 पलकों पर जो है सजता 

बहुत मधुर वह पल लगता 

आँख खुले  तो छिप जाता 

क्या सखि सजना? ना सखि सपना।

 सबके मन को वह भाती 

खुशियाँ और ज्ञान बढ़ाती 

बच्चों को खूब अच्छी लगती 

क्या सखि नानी? ना सखि कहानी।

— डाॅ अनीता पंडा ‘अन्वी’

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA aneeta.panda@gmail.com