लम्हा-लम्हा जिन्दगी
जिन्दगी के लम्हों कोजितना भी समेटोरेत की ढेर है यहझरती ही जाती है। बनाओ अगर इसमेंअपना नामो-निशानउड़ती हवा का झोंकाउसे
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Read Moreथक जाती है औरत पर माँ नहीं मानती हार चाहे हो बदनाम गली की माँ अपनी संतान को सर्वाधिक प्यार
Read Moreखरगोश के साथ दौड़ की प्रतियोगिता में जीतने के बाद कछुआ घमण्ड से सिर उठाकर चलता. दूसरी ओर खरगोश, जो
Read Moreवाराणसी का प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर सुबह-ए-बनारस के सूर्योदय की छवि अपनी नेत्रों में समेटे हम स्वार्गिक आनन्द में खोये
Read Moreअजनबी पत्थरों के देश में, देखा इन्सान पत्थरों के बने I बहुत सहलाया, प्यार भी किया, चूमा, पलकों पर बिठाया
Read Moreखामोशी से निकल गया था वह, विकास की तलाश में अर्जित करने ज्ञान का प्रकाश कुछ रश्मियाँ हाथ आईं सरस्वती
Read Moreविदा हो गई, खूँटी पर टँगी औरत जिस पर कोई भी कुछ टाँग देता खूँटी कुछ नहीं बोलती कभी पुराना
Read Moreशिल्प विधान – जगण जगण , 121 121 चरण तुकांत, 6 वर्ण प्रति चरण 1. बढ़े हम वीर । बने
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