ग़ज़ल
मेरे गिरने से मेरे दोस्त अचानक सँभले
तय जो करते थे दिशा-दृष्टि विधायक सँभले
लिखने वालों ने कहानी का जो देखा अंजाम
दास्तानों के कई बहके कथानक सँभले
देखकर गुस्सा समन्दर का सुनामी का कहर
लड़खड़ाते हुए लहरों के नियामक सँभले
सुनके ऐलान ‘ठहर जाओ है खतरा आगे’
बढ़ रहे थे जो कदम उनके यकायक सँभले
देखकर ‘शान्त’ बहकती हुई दुनिया का चलन
जो समझदार थे सच्चे थे सुधारक सँभले
— देवकी नन्दन ‘शान्त’